राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन 2025 योजना और अनुदान जानकारी, विशेषताएं और लाभ

हेलो दोस्तों आप सबका स्वागत है हमारे इस आर्टिकल में और आज हम राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन 2025 के बारे में बात करेंगे, पूरी जानकारी जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा करें.

राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA)

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां करोड़ों लोग खेती पर निर्भर हैं। लेकिन जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों की कमी, और पारंपरिक खेती की चुनौतियों ने किसानों के सामने गंभीर संकट खड़ा कर दिया है। इन्हीं समस्याओं के समाधान के लिए राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (National Mission for Sustainable Agriculture – NMSA) की शुरुआत की गई। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटना, कृषि को अधिक टिकाऊ बनाना और किसानों को आधुनिक तकनीकों से जोड़ना है।

राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन के प्रमुख उद्देश्य

NMSA के तहत कई महत्वपूर्ण लक्ष्यों को ध्यान में रखा गया है, जिनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:

1. सतत कृषि प्रणालियों का विकास खेती की आधुनिक और जलवायु-अनुकूल तकनीकों को अपनाना ताकि उत्पादन में वृद्धि हो और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव कम से कम हो।

2. प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण जल, मिट्टी और जैव विविधता की रक्षा करने के लिए नई कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देना।

3. मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन किसानों को मृदा परीक्षण की सुविधा देना और उर्वरकों के संतुलित उपयोग को बढ़ावा देना ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे

4. जल संसाधनों का उचित उपयोग पानी की बचत करने वाली तकनीकों को अपनाना, जैसे सूक्ष्म सिंचाई (ड्रिप और स्प्रिंकलर सिस्टम) का विस्तार करना।

5. किसानों की आय में वृद्धि कृषि उत्पादन बढ़ाने और संसाधनों के सही उपयोग से किसानों की आमदनी को स्थायी रूप से बढ़ाने की कोशिश करना।

राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन रणनीतियाँ और कार्यान्वयन

राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (NMSA) के तहत विभिन्न रणनीतियों को लागू किया गया है, ताकि किसानों को अधिकतम लाभ मिल सकेः

1. एकीकृत कृषि प्रणाली

खेती को सिर्फ फसलों तक सीमित न रखते हुए, इसे बागवानी, पशुपालन, मछली पालन और कृषि वानिकी से जोड़कर बहुआयामी बनाया जा रहा है। इससे किसानों को एक ही स्रोत पर निर्भर नहीं रहना पड़ता और उनकी आय में स्थिरता आती है।

2. जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण

बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए खेत तालाब, चेक डैम, और कुओं का निर्माण किया जा रहा है ताकि किसानों को सूखे की स्थिति में जल उपलब्ध हो सके।

3. मृदा एवं नमी संरक्षण तकनीकें

मल्चिंग, रिज एवं फरो सिस्टम, और समतलीकरण जैसी तकनीकों को अपनाकर मिट्टी में नमी बनाए रखने की कोशिश की जा रही है। इससे पानी की खपत कम होती है और पैदावार में बढ़ोतरी होती है।

4. जल प्रबंधन और सूक्ष्म सिंचाई

‘प्रति बूंद अधिक फसल’ (More Crop Per Drop) को बढ़ावा देने के लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धतियों को अपनाया जा रहा है। यह पद्धति पानी की बर्बादी को रोकती है और फसलों की उत्पादकता को बढ़ाती है।

राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन के प्रमुख घटक और योजनाएँ

NMSA के अंतर्गत विभिन्न उप-योजनाओं और घटकों को शामिल किया गया है, जो किसानों के लिए सहायक सिद्ध हो रही हैं:

1. वर्षा आधारित क्षेत्र विकास (Rainfed Area Development – RAD)

• यह योजना उन किसानों के लिए बनाई गई है जो बारिश पर निर्भर रहते हैं। इसके तहत उन्हें एकीकृत खेती और जल संरक्षण उपायों में सहायता दी जाती है।

2. मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन (Soil Health Management – SHM)

• मिट्टी की सेहत सुधारने के लिए किसानों को मृदा परीक्षण की सुविधा दी जा रही है।

• उर्वरकों के संतुलित उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है।

3. परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY)

• जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए यह योजना लागू की गई है।

• किसानों को जैविक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग के लिए सहायता दी जाती है।

4. राष्ट्रीय बांस मिशन (NBM)

• बांस उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए यह मिशन लागू किया गया है, जिससे किसानों को अतिरिक्त आमदनी मिल सके।

5. पर्यावरण अनुकूल कृषि तकनीकें

• जैविक खेती, कृषि वानिकी, और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन जैसी विधियों को अपनाया जा रहा है ताकि खेती को पर्यावरण के अनुकूल बनाया जा सके।

राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन कि‌ अब तक की उपलब्धियाँ

NMSA के तहत कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की गई हैं, जिनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:

• मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना- देशभर के किसानों को

• मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए गए हैं, जिससे उन्हें अपनी मिट्टी की गुणवत्ता के बारे में जानकारी मिल रही है और वे वैज्ञानिक तरीके से उर्वरकों का उपयोग कर रहे हैं।

• सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली का विस्तार – ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ अभियान के तहत लाखों हेक्टेयर भूमि को सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों से जोड़ा गया है।

• जैविक खेती का प्रसार – परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत जैविक खेती को बढ़ावा दिया गया है और कई किसान अब रसायन मुक्त खेती अपना रहे हैं।

• जलवायु अनुकूल गाँवों की स्थापना जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कई जिलों में विशेष जलवायु अनुकूल गाँव बनाए गए हैं, जहाँ आधुनिक और टिकाऊ कृषि तकनीकों को अपनाया जा रहा है।

राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन चुनौतियाँ और आगे का रास्ता

हालांकि यह मिशन सफलतापूर्वक आगे बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी कुछ चुनौतियाँ बनी हुई हैं:

1. किसानों में जागरूकता की कमी – सतत कृषि तकनीकों को अपनाने के लिए किसानों को जागरूक करने की आवश्यकता है।

2. वित्तीय बाधाएँ – कई राज्यों में इस मिशन के लिए पर्याप्त बजट नहीं है, जिससे इसके प्रभावी क्रियान्वयन में कठिनाई होती है।

3. जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभाव अनिश्चित वर्षा, बढ़ता तापमान, और प्राकृतिक आपदाएँ खेती को नुकसान पहुँचा रही हैं।

4. तकनीकी प्रशिक्षण की आवश्यकता –किसानों को नई कृषि तकनीकों की जानकारी देने के लिए नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम आवश्यक हैं।

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