प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना 2025 (PMKSY); हर खेत को अपनी हर किसान को रात मिलेगी

हेलो दोस्तों आप सबका स्वागत है हमारे इस आर्टिकल में और आज हम प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के बारे में बात करेंगे, पूरी जानकारी जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें.

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प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना भूमिका।

भारत एक ऐसा देश है जिसकी आत्मा गांवों में बसती है, और इन गांवों की रीढ़ खेती है। खेती से ही करोड़ों लोगों का जीवन चलता है। लेकिन खेती की सबसे बड़ी जरूरत है – पानी। अगर खेतों को समय पर और पर्याप्त पानी नहीं मिलेगा, तो न फसल होगी, न किसान की कमाई बढ़ेगी।

इसी महत्वपूर्ण जरूरत को ध्यान में रखते हुए, 2025 में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) की शुरुआत की। इस योजना का नारा है हर खेत को पानी। मतलब यह कि देश का कोई भी खेत पानी के बिना सूखना नहीं चाहिए। यह योजना किसानों के लिए वरदान बन सकती है, बशर्ते इसे सही तरीके से लागू किया जाए।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की जरूरत क्यों पड़ी?

भारत में मानसून बहुत अनिश्चित है। कभी बारिश इतनी ज्यादा होती है कि बाढ़ आ जाती है, तो कभी सूखा पड़ जाता है। बारिश का पानी जमीन पर बहकर निकल जाता है, उसे सहेजने की सही व्यवस्था नहीं होती।

इसके अलावा, कई सिंचाई परियोजनाएं सालों से अधूरी पड़ी थीं। कई गांव ऐसे हैं, जहां आज भी किसान सिर्फ बारिश के भरोसे खेती करते हैं। ऐसे में जरूरी था कि एक ऐसी योजना बने, जो जल संरक्षण, जल प्रबंधन और सिंचाई सुविधाओं का विस्तार एक साथ करे। PMKSY इसी सोच का नतीजा है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के मुख्य उद्देश्य।

  1. हर खेत को पानीः देश के हर खेत तक सिंचाई सुविधा पहुंचाना।
  2. जल संरक्षण और जल प्रबंधनः बारिश के पानी को बचाना, भूजल को रिचार्ज करना और पारंपरिक जलस्रोतों को सहेजना।
  3. माइक्रो इरिगेशन को बढ़ावाः ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसे आधुनिक तरीकों से पानी की बचत करना।
  4. पर्यावरण संतुलनः जल का सही इस्तेमाल करके प्रकृति का संतुलन बनाए रखना।
  5. खेती की उत्पादकता बढ़ानाः पानी मिलने से फसल अच्छी होगी, किसान की आय बढ़ेगी।

योजना के मुख्य हिस्से‌‌।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) को चार बड़े हिस्सों में बांटा गया है:

  1. AIBP (Accelerated Irrigation Benefit Programme)

यह उस काम के लिए है, जिसमें सालों से अधूरी पड़ी बड़ी सिंचाई परियोजनाओं को पूरा किया जाए। ये परियोजनाएं पहले से शुरू हुई थीं, लेकिन बजट, तकनीकी समस्याओं या प्रशासनिक लापरवाही के चलते अटक गई थीं।

2. हर खेत को पानी

इस हिस्से का मकसद है खेतों तक पानी की व्यवस्था करना। इसके लिए नहरें बनाई जा रही हैं, तालाब खोदे जा रहे हैं, चेक डैम बनाए जा रहे हैं और कुएं, नलकूप जैसे संसाधनों का निर्माण किया जा रहा है।

3. जल संरक्षण और प्रबंधन

पानी का सही प्रबंधन भी जरूरी है। इसलिए वाटरशेड विकास (जहां पानी बहकर इकट्ठा होता है) को मजबूत करने पर जोर दिया गया है। गांवों में तालाबों की सफाई, बारिश का पानी बचाने के लिए ढांचागत निर्माण किए जा रहे हैं।

4. माइक्रो इरिगेशन (Per Drop More Crop) इस भाग में किसानों को आधुनिक सिंचाई तकनीकों से जोड़ा जा रहा है, ताकि कम से कम पानी में ज्यादा से ज्यादा फसल ली जा सके।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का संचालन और वित्तपोषण।

इस योजना को केंद्र और राज्य मिलकर चलाते हैं।

  • सामान्य राज्यों में केंद्र 60% खर्च उठाता है और 40% राज्य उठाता है।
  • उत्तर-पूर्व और पहाड़ी राज्यों में 90% केंद्र और 10% राज्य खर्च करता है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को लागू करने की जिम्मेदारी तीन मंत्रालयों की है।

  1. जल संसाधन मंत्रालय
  2. कृषि मंत्रालय
  3. ग्रामीण विकास मंत्रालय

तीनों मिलकर योजना का सही क्रियान्वयन सुनिश्चित करते हैं।

अब तक के काम और उपलब्धियां।

योजना के तहत देशभर में कई काम हुए हैं:

  • सैकड़ों अधूरी परियोजनाएं पूरी की गईं।
  • लाखों हेक्टेयर में माइक्रो इरिगेशन लागू हुआ।
  • हजारों चेक डैम, तालाब, नहरें और जल संग्रहण संरचनाएं बनीं।

किसानों को जल संरक्षण की ट्रेनिंग दी गई।

2023 तक की रिपोर्ट बताती है कि 22 लाख हेक्टेयर में माइक्रो इरिगेशन किया गया, 99 में से 60 महत्वपूर्ण सिंचाई परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और फसल उत्पादन में औसतन 20% की बढ़ोतरी देखी गई है।

किसानों पर हुआ असर

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से गांव-गांव में किसान की जिंदगी बदली है।

  1. सिंचाई का भरोसाः अब किसान को सिर्फ बारिश पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
  2. खर्च में कमीः जब पानी समय पर मिल रहा है, तो डीजल पंप चलाने जैसे खर्च कम हो गए।
  3. फसल की गुणवत्ताः पानी की सही आपूर्ति से फसलें मजबूत और बेहतर हो रही हैं।
  4. आय में बढ़ोतरी: जब फसल अच्छी हो रही है, तो किसान की कमाई भी बढ़ रही है।

पर्यावरण पर असर

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) सिर्फ किसानों की मदद नहीं कर रही, बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है।

  • जल संरक्षण से भूजल स्तर सुधर रहा है।
  • तालाबों और जलाशयों का पुनर्जीवन होने से आसपास का इकोसिस्टम बेहतर हो रहा है।
  • सूखे इलाकों में हरियाली लौट रही है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना कि कुछ चुनौतियां भी हैं योजना अच्छी है, लेकिन इसे लागू करने में कई दिक्कतें आती हैं:

  1. फंडिंग में देरी: कई बार राज्य सरकारें समय पर पैसा जारी नहीं करतीं।
  2. तकनीकी जानकारी की कमीः छोटे किसान अब भी ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी तकनीकों से डरते हैं।
  3. स्थानीय समस्याएं: भूमि विवाद, पानी चोरी जैसे मुद्दे भी आड़े आते हैं।
  4. मॉनिटरिंग की कमीः कई जगह निर्माण कार्यों में गुणवत्ता से समझौता हुआ है।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की राह।

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY) को सफल बनाने के लिए आगे कुछ अहम कदम उठाने होंगे:

  • डिजिटल निगरानी: GIS और ड्रोन से हर प्रोजेक्ट की लाइव मॉनिटरिंग हो।
  • किसान प्रशिक्षणः गांव-गांव में जल संरक्षण और माइक्रो इरिगेशन पर ट्रेनिंग कैंप लगाए जाएं।
  • स्थानीय स्तर पर जल प्रबंधनः पंचायतों को
  • जल संसाधनों का जिम्मा दिया जाए।
  • निजी क्षेत्र की भागीदारीः कंपनियों को टेक्नोलॉजी सपोर्ट और फंडिंग में जोड़ा जाए

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