हेलो दोस्तों आप सबका स्वागत है हमारे इस आर्टिकल में और आज हम हरित क्रांति – कृष्णानाति योजना 2025 के बारे में बात करेंगे, पूरी जानकारी जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
हरित क्रांति – कृष्णानाति योजना
भारत में खेती सिर्फ ज़रूरत नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीका है। गांवों की धड़कन, खेत-खलिहान की महक और किसानों की मेहनत ही इस देश की असली ताकत है। लेकिन सच तो ये भी है कि आज का किसान परेशान है, कभी मौसम धोखा दे देता है, कभी लागत बढ़ जाती है, और कभी फसल का सही दाम नहीं मिलता।
इन्हीं परेशानियों को देखते हुए सरकार ने साल 2025 में एक नई योजना की शुरुआत की है, “हरित क्रांति – कृष्णानाति योजना 2025″। इस योजना का मकसद सिर्फ खेती बढ़ाना नहीं, बल्कि किसानों की कमाई बढ़ाना, खेती को टिकाऊ बनाना और तकनीक को खेत तक पहुंचाना है।
पहली हरित क्रांति और आज की ज़रूरत
हमने 1960 के दशक में जो हरित क्रांति देखी थी, उसने भारत को भूखमरी से उबारा था। गेहूं और चावल के उत्पादन में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई थी। लेकिन उस हरित क्रांति का साइड इफेक्ट भी हुआ, जैसे ज़मीन की उर्वरता कम होना, ज़्यादा रासायनिक खाद का इस्तेमाल, और पानी की बर्बादी।
अब वक्त है एक नई सोच के साथ आगे बढ़ने का। “हरित क्रांति – कृष्णानाति योजना 2025” उसी सोच का नाम है, जहाँ खेती होगी वैज्ञानिक, लेकिन पर्यावरण के अनुकूल; और किसान होगा आत्मनिर्भर, तकनीकी रूप से सशक्त।
हरित क्रांति – कृष्णानाति योजना के पीछे की सोच
इस योजना का नाम दो शब्दों से बना है हरित क्रांति, मतलब उत्पादन बढ़ाना और कृष्णानाति, जिसका मतलब है ज्ञान, विज्ञान और तकनीक से खेती को आगे ले जाना। सरकार ने इसे एक समग्र योजना के रूप में पेश किया है, जिसमें खेती के हर पहलू को छूने की कोशिश की गई है।
1.हरित क्रांति – कृष्णानाति योजना के अहम लक्ष्य
- खेती की उपज बढ़ाना
- किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज देना।
- आधुनिक खेती की तकनीक, जैसे इंटरक्रॉपिंग और मल्टीक्रॉपिंग को बढ़ावा देना।
2.पानी की बेहतर व्यवस्था
- ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी सूक्ष्म सिंचाई पद्धतियों को बढ़ावा देना।
- वर्षा जल का संचयन और जमीन में पानी रिचार्ज करने की योजना।
3.तकनीक को खेत तक लाना
- खेतों में ड्रोन, सैटेलाइट डेटा और सेंसर का इस्तेमाल बढ़ाना।
- किसानों को मोबाइल ऐप के ज़रिए मौसम, मंडी और सलाह की जानकारी देना।
4.जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना
- कम रासायनिक खाद, ज़्यादा देशी तरीकों को अपनाना।
- गाय आधारित कृषि और कंपोस्ट खाद का प्रोत्साहन।
5.किसानों की आमदनी बढ़ाना
- प्रोसेसिंग यूनिट, फूड पार्क और स्थानीय बाजार से जोड़ना।
- फसल बीमा और समर्थन मूल्य की व्यवस्था को मजबूत करना।
हरित क्रांति – कृष्णानाति योजना में क्या-क्या किया जा रहा है योजना में?
1. कृष्णानाति केंद्र: हर जिले में ऐसा केंद्र बनाया जाएगा, जहाँ किसान प्रशिक्षण ले सकेंगे, मिट्टी की जांच करवा सकेंगे, और नई तकनीकों से जुड़ सकेंगे।
2. डिजिटल किसान कार्ड: एक कार्ड जो किसान की ज़मीन, फसल, सिंचाई स्रोत और सरकारी लाभ से जुड़ी जानकारी को जोड़ देगा।
3. स्मार्ट फार्मिंग प्रोजेक्ट: कुछ राज्यों में पायलट प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं जहाँ खेतों में सेंसर, ड्रोन और मोबाइल ऐप से खेती की निगरानी हो रही है।
हरित क्रांति – कृष्णानाति योजना राज्य सरकारों की भूमिका
हर राज्य की ज़मीन, मौसम और खेती की ज़रूरतें अलग होती हैं। इसीलिए राज्य सरकारों को खुली छूट दी गई है कि वे अपने हिसाब से हरित क्रांति – कृष्णानाति योजना को लागू करें।
- राज्य स्तर पर विशेष समितियाँ बनी हैं।
- कृषि विश्वविद्यालयों को भी इससे जोड़ा जा रहा है ताकि रिसर्च और किसान आपस में जुड़ सकें।
हरित क्रांति – कृष्णानाति योजना जमीनी चुनौतियाँ भी हैं
कोई भी योजना कागज पर अच्छी लगती है, लेकिन असली इम्तिहान ज़मीन पर होता है। इस हरित क्रांति – कृष्णानाति योजना के सामने भी कुछ चुनौतियाँ हैं:
- छोटे किसानों तक तकनीक पहुँचाना आसान नहीं।
- ड्रोन और सेंसर्स जैसी चीज़ें अभी भी महँगी हैं।
- कई किसान डिजिटल साक्षर नहीं हैं, उन्हें मोबाइल ऐप या ऑनलाइन जानकारी समझने में दिक्कत आती है।
लेकिन उम्मीद की जा सकती है कि अगर पंचायत से लेकर केंद्र तक सब एक दिशा में काम करें, तो हरित क्रांति – कृष्णानाति योजना बड़ा बदलाव ला सकती है।
कुछ अच्छे उदाहरण भी सामने आ रहे हैं
- मध्य प्रदेश में “एक जिला, एक उत्पाद” मॉडल के साथ किसानों को स्थानीय फसलों की प्रोसेसिंग में जोड़ा जा रहा है।
- कर्नाटक में स्मार्ट खेती का मॉडल अपनाया गया है, जहाँ खेतों में ड्रोन से कीटनाशक और खाद का छिड़काव किया जा रहा है।
- बिहार और झारखंड में किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहन राशि और बाजार की सुविधा दी जा रही है।
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