स्वामित्व योजना 2025: गांवों में संपत्ति अधिकार दिलाने की पूरी जानकारी

हेलो दोस्तों आप सबका स्वागत है हमारे इस आर्टिकल में और आज हम स्वामित्व योजना के बारे में बात करेंगे, पूरी जानकारी जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा करें.

भारत का बड़ा हिस्सा गांवों में बसता है। इन गांवों में रहने वाले करोड़ों लोग आज भी अपनी ही जमीन और घरों के कानूनी दस्तावेज से वंचित हैं। कई बार तो एक ही जमीन पर एक से ज्यादा लोगों का दावा होता है, जिससे विवाद सालों तक चलते रहते हैं। इसी समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार ने 2020 में स्वामित्व योजना की शुरुआत की थी। अब इसका लक्ष्य है कि 2025 तक देश के सभी गांवों को इस योजना का लाभ मिले।

क्या है स्वामित्व योजना?

सरल शब्दों में कहें तो यह योजना गांवों में मौजूद संपत्तियों का डिजिटल नक्शा तैयार करने, मालिकाना हक देने और उसका रिकॉर्ड रखने की एक आधुनिक प्रक्रिया है। सरकार चाहती है कि गांवों में भी शहरों की तरह हर संपत्ति का साफ-सुथरा दस्तावेज हो, जिससे कोई भी मालिक अपनी संपत्ति को कानूनी रूप से अपना साबित कर सके।

स्वामित्व योजना की जरूरत क्यों पड़ी?

भारत के गांवों में आज भी अधिकतर संपत्तियों के दस्तावेज नहीं हैं। पीढ़ी दर पीढ़ी संपत्ति बंटती रही, लेकिन कोई आधिकारिक रिकॉर्ड नहीं बना। नतीजा ये हुआ कि एक ही जमीन पर कई बार अलग-अलग लोगों का दावा हो जाता है। यही नहीं, जब कोई ग्रामीण बैंक से कर्ज लेने जाता है, तो बिना संपत्ति के कागजों के बैंक भी मदद नहीं करता। इस स्थिति को सुधारने के लिए ही स्वामित्व योजना लाई गई।

स्वामित्व योजना की मुख्य बातें।

1. ड्रोन सर्वे से संपत्तियों की मैपिंग पहले गांवों में जमीन नापने का काम रस्सी और डंडे से होता था, जिससे गलती की गुंजाइश बहुत ज्यादा थी। अब इस योजना में ड्रोन कैमरों की मदद से एक-एक इंच की सटीक मैपिंग की जा रही है।

2. डिजिटल संपत्ति कार्ड मैपिंग के बाद हर संपत्ति का एक डिजिटल कार्ड बनाया जाता है, जिसमें साफ लिखा होता है कि इस पर किसका अधिकार है। यह कार्डी रूप से मान्य होगा, जिसे बैंक भी स्वीकार करेंगे।

3. विवादों का समाधान जब डिजिटल नक्शा और संपत्ति कार्ड एकदम साफ तरीके से बनेगा, तो गांवों में चल रहे सालों पुराने झगड़े भी खत्म होंगे। किसी के पास भी अपनी जमीन का मजबूत सबूत होगा।

4. ऑनलाइन रिकॉर्ड गांवों की सारी संपत्तियों का डेटा अब ऑनलाइन भी रखा जाएगा, ताकि कोई भी जरूरत पड़ने पर उसे देख सके और गलतफहमी की गुंजाइश न रहे।

स्वामित्व योजना लागू करने की प्रक्रिया।

1. गांवों का चयन

सबसे पहले उन गांवों को चुना जाता है, जहां यह स्वामित्व योजना लागू करनी है। पहले कुछ राज्यों में इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया था, अब इसे पूरे देश में लागू किया जा रहा है।

2. ड्रोन सर्वे

गांव की हर गली, हर मकान और हर खेत को ड्रोन से मापा जाता है। इससे न सिर्फ संपत्ति की सही लोकेशन मिलती है, बल्कि उसकी सटीक सीमाएं भी दिखती हैं।

3. डाटा की जांच और शिकायत निपटान

ड्रोन से बने नक्शे को गांव की पंचायत में सबके सामने रखा जाता है। अगर किसी को कोई आपत्ति होती है, तो उसी समय उसका समाधान किया जाता है।

4. स्वामित्व कार्ड जारी

जब सब कुछ सही हो जाता है, तब हर मालिक को उसका संपत्ति कार्ड दे दिया जाता है, जिसे वह अपने भविष्य के लिए संभाल रख सकता है।

गांव वालों को क्या-क्या फायदा होगा?

1. पहली बार पक्के दस्तावेज कई लोग पहली बार अपनी संपत्ति के कानूनी मालिक बन पाएंगे। इससे उनकी जमीन या मकान पर किसी और का दावा खत्म हो जाएगा।

2. बैंक से कर्ज मिलना आसान जब संपत्ति का कार्ड होगा, तो बैंक भी उसे गिरवी रखकर आसानी से कर्ज देगा। इससे खेती, शिक्षा या छोटे-मोटे बिजनेस के लिए पैसा जुटाना आसान हो जाएगा।

3. झगड़ों का अंत गांवों में संपत्ति विवाद आम बात है। इस योजना से संपत्ति का मालिक कौन है, यह बिल्कुल साफ हो जाएगा, जिससे बेवजह की लड़ाई-झगड़े रुक जाएंगे।4. सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता

4.अब जब गांव की संपत्तियों का पूरा डेटा सरकार के पास होगा, तो इससे ग्रामीण विकास की योजनाएं बनाना भी आसान हो जाएगा। सही आंकड़े होने से नीतियों को भी बेहतर बनाया जा सकेगा।

5. महिलाओं की भागीदारी कुछ राज्यों में संपत्ति कार्ड पति-पत्नी दोनों के नाम पर बनाए जा रहे हैं, जिससे महिलाओं को भी संपत्ति पर बराबर का हक मिल रहा है। यह कदम महिला सशक्तिकरण की दिशा में काफी अहम है।

स्वामित्व योजना 2025 तक का लक्ष्य।

सरकार का इरादा है कि 2025 तक देश के हर गांव की हर संपत्ति का रिकॉर्ड तैयार हो जाए। 6 लाख से ज्यादा गांवों को इस योजना में शामिल करने का लक्ष्य है, ताकि हर ग्रामीण को उसकी संपत्ति का कानूनी हक मिल सके।

स्वामित्व योजना चुनौतियां भी कम नहीं हैं।

1. तकनीकी दिक्कतें ड्रोन सर्वे और डिजिटल रिकॉर्ड बनाने के लिए जरूरी तकनीकी जानकारी हर जगह नहीं है। खासतौर पर दूर-दराज के इलाकों में यह एक बड़ी चुनौती है।

2. संपत्ति विवादों की जटिलता कई गांवों में संपत्ति पर एक नहीं बल्कि कई लोगों का दावा है। ऐसे में इन झगड़ों को निपटाना आसान नहीं होगा।

3. जागरूकता की कमी अभी भी बहुत से ग्रामीण इस योजना को लेकर पूरी तरह जागरूक नहीं हैं। उन्हें यह समझाना जरूरी है कि यह उनके लिए कितना फायदेमंद है।

4. स्थानीय प्रशासन की भूमिका संपत्ति रिकॉर्ड को अपडेट रखने और विवादों को समय पर सुलझाने के लिए पंचायतों को भी ज्यादा मजबूत बनाना होगा, नहीं तो स्वामित्व योजना लंबी दूरी तय नहीं कर पाएगी।

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