हेलो दोस्तों आप सबका स्वागत है हमारे इस आर्टिकल में और आज हम जीरो बजट प्राकृतिक खेती योजना के बारे में बात करेंगे, पूरी जानकारी जानने के लिए इस आर्टिकल को पूरा करें.
जीरो बजट प्राकृतिक खेती योजना 2025
भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां करोड़ों लोगों की आजीविका खेती पर निर्भर है। लेकिन बीते कुछ दशकों में रासायनिक खाद, महंगे बीज और कीटनाशकों पर बढ़ती निर्भरता ने किसानों की लागत को काफी बढ़ा दिया है। इसके चलते किसानों पर कर्ज का बोझ बढ़ा, ज़मीन की उर्वरता कम हुई और खेती करना घाटे का सौदा बनता गया। इन समस्याओं से निपटने के लिए सरकार ने जीरो बजट प्राकृतिक खेती योजना 2025 की शुरुआत की है।
जिसमें किसानों को बिना किसी बाहरी खर्च के, पूरी तरह से स्थानीय संसाधनों के सहारे खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है।
जीरो बजट प्राकृतिक खेती क्या है?
इसका सीधा मतलब है ऐसी खेती जिसमें किसी बाहरी कंपनी से उर्वरक, कीटनाशक या महंगे बीज खरीदने की ज़रूरत न पड़े। किसान अपने खेत और गांव में ही मौजूद संसाधनों का इस्तेमाल कर खेती करें, जैसे गोबर, गोमूत्र, नीम, छाछ, हरी खाद और जीवामृत। यह तरीका पूरी तरह प्राकृतिक है, जिससे मिट्टी की सेहत भी सुधरती है और किसान का खर्चा भी नहीं होता।
जीरो बजट प्राकृतिक खेती योजना 2025 के मुख्य उद्देश्य।
•किसानों की खेती पर आने वाली लागत को शून्य तक लाना।
•रासायनिक खादों और कीटनाशकों से होने वाले नुकसान से बचाव ।
•देश की मिट्टी की गिरती उर्वरता को वापस सुधारना।
• प्राकृतिक और जैविक उत्पादों को बढ़ावा देना।
•किसानों को आत्मनिर्भर बनाना और कर्जमुक्त खेती को बढ़ावा देना।
जीरो बजट प्राकृतिक खेती योजना की प्रमुख विशेषताएं
1. बिना खर्च खेती का मॉडलः किसान को न महंगे बीज खरीदने की जरूरत, न ही रासायनिक खाद और कीटनाशकों पर पैसा खर्च करना होगा। पूरी खेती गांव में ही मौजूद संसाधनों से की जा सकेगी।
2. स्थानीय संसाधनों का उपयोगः गांवों में मिलने वाले गोबर, गोमूत्र, नीम की पत्तियां, धतूरा, छाछ और फसल अवशेष जैसे प्राकृतिक तत्व ही इस खेती का आधार बनेंगे।
3. मिट्टी की गुणवत्ता में सुधारः प्राकृतिक विधियों से जैविक सामग्री बढ़ती है, जिससे मिट्टी का स्वास्थ्य बेहतर होता है और लम्बे समय तक उपजाऊपन बनी रहती है।
4. गुणवत्तापूर्ण और सुरक्षित उपजः इस खेती से पैदा हुई फसलें पूरी तरह से केमिकल फ्री और पोषण से भरपूर होती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।
5. किसानों का प्रशिक्षणः 2025 में सरकार हर जिले में प्राकृतिक खेती सिखाने के लिए वर्कशॉप, फील्ड डेमो और ऑनलाइन ट्रेनिंग चलाएगी।
जीरो बजट प्राकृतिक खेती योजना के लाभ
1. कृषि लागत में भारी कमी जब बाहरी निवेश की जरूरत ही नहीं, तो लागत अपने आप घट जाती है। किसानों को कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ती।
2. मिट्टी और पर्यावरण का संरक्षण रासायनिक खेती से मिट्टी जहरीली होती है, पानी दूषित होता है और जैव विविधता खत्म होती है। प्राकृतिक खेती इन सब समस्याओं का हल है।
3. खाद्य सुरक्षा में योगदान प्राकृतिक फसलें स्वास्थ्य के लिए बेहतर हैं, जिससे देश में कुपोषण कम करने में मदद मिल सकती है।
4. आय बढ़ने की संभावना कम लागत और सुरक्षित उपज की वजह से किसानों को अच्छी आमदनी मिल सकती है, खासकर जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग को देखते हुए।
5. किसान की आत्मनिर्भरता किसान अपनी खाद, बीज और दवाएं खुद तैयार करता है, जिससे वह किसी कंपनी या बाजार पर निर्भर नहीं रहता।
जीरो बजट प्राकृतिक खेती योजना की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाएं
2025 में केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर इस योजना को बड़े पैमाने पर लागू करने की योजना बना रही हैं। अभी तक आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश और मध्य प्रदेश में जीरो बजट प्राकृतिक खेती के सफल उदाहरण देखे गए हैं। सरकार का लक्ष्य है कि 2025 तक देश के 30% किसानों को इस प्रणाली से जोड़ दिया जाए। इसके लिए 2025-26 के केंद्रीय बजट में भी विशेष प्रावधान किए जाने की संभावना है।
जीरो बजट प्राकृतिक खेती योजना का क्रियान्वयन
1. प्रशिक्षण शिविर और वर्कशॉप हर जिले और ब्लॉक स्तर पर कृषि विभाग किसानों को सिखाएगा कि प्राकृतिक खेती कैसे की जाती है।
2. स्थानीय संसाधन केंद्र गांवों में गौशाला, वर्मी कम्पोस्ट यूनिट और प्राकृतिक कीटनाशक निर्माण केंद्र बनाए जाएंगे, ताकि संसाधन हर समय उपलब्ध रहें।
3. खास बाजार तैयार करना प्राकृतिक उत्पादों को बेचने के लिए सरकार ऑर्गेनिक मंडी, ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और खास लेबलिंग की व्यवस्था करेगी।
4. प्रोत्साहन राशि और मदद शुरुआत में किसानों को प्राकृतिक खेती अपनाने पर कुछ आर्थिक मदद भी दी जाएगी।
5. रिसर्च और इनोवेशन कृषि वैज्ञानिक और रिसर्च संस्थान मिलकर प्राकृतिक खेती की नई-नई तकनीकें विकसित करेंगे, ताकि उपज भी बढ़े और लागत भी कम हो।
जीरो बजट प्राकृतिक खेती योजना से जुड़ी कुछ चुनौतियां
1. किसानों की मानसिकता बदलना कई किसान रासायनिक खेती के आदी हो चुके हैं। उन्हें समझाना और तैयार करना आसान नहीं होगा।
2. संसाधनों की उपलब्धता हर किसान के पास मवेशी नहीं हैं, या गांव में पर्याप्त जैविक सामग्री उपलब्ध नहीं है, यह भी एक बड़ी चुनौती हो सकती है।
3. उपज का मूल्य और बाजार जब तक प्राकृतिक उत्पादों को सही दाम और पक्का बाजार नहीं मिलेगा, तब किसान इसमें पूरी तरह नहीं जड़ पाएंगे।
4. वैज्ञानिक प्रमाण और भरोसा कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि प्राकृतिक खेती में उपज कम होती है। इस धारणा को तोड़ने के लिए ज्यादा शोध और उदाहरण देने होंगे।
जीरो बजट प्राकृतिक खेती योजना सामाजिक और आर्थिक असर
•गांवों में छोटे-छोटे जैविक उत्पाद तैयार करने वाले व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा।
• प्राकृतिक उत्पादों की मांग बढ़ने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।
•लोगों को शुद्ध, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन मिलेगा, जिससे स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर होगा।
•पर्यावरण संरक्षण में भी इस योजना की बड़ी भूमिका होगी, क्योंकि यह पानी बचाने और मिट्टी की सेहत सुधारने में मदद करती
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